कौन जाने उसकी क्या इच्छा होती है। उसकी तो हर बात की समीक्षा होती है। नारी सम्मान का ढोंग रचने वालों। हर रोज़ यहां द्रौपदी का चीरहरण, हर दिन सीता की अग्निपरीक्षा होती है। विनोद विद्रोही