अमावस की रात के अँधेरे की तरह ,
मेरे जहन-ओ-जां पर ये बढ़ती जाती है।
आज तुमने शायद भुला दिया हो मुझे ,
पर सच कहूं तो मुझे आज भी तेरी याद आती है ।।
ख़ामोशी को सजा के रखता हूँ अपने लबों पर ,
ये गुस्ताख़ आँखें है जो सब बता जाती है ।
आज तुमने शायद भुला दिया हो मुझे , #Poetry