लगता है इस सर्दी से तुम्हारा कोई रिस्ता पुराना है। देखो ना,आया है कैसे,जैसे कोई बदला चुकाना है। ना कुहासे से देर तक ढ़का रहता है अम्बर, बिल्कुल तुम्हारी तरह खुदगर्ज़ लगता है दिसम्बर ।