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याद आये कुछ यूँ .. कि लौट आये सब सिलसिले ... ठंडी

याद आये कुछ यूँ .. कि लौट आये सब सिलसिले ...
ठंडी हवा , सब्ज़ पत्ते ,
कोहरे से भरी सडके,
तुम्हारा दिया हुआ स्वेटर
बस तेरे हाथ को छु लेने भर की खवाहिशें और दिसम्बर की ये सर्द राते !!
याद आये कुछ यूँ .. कि लौट आये सब सिलसिले ...
ठंडी हवा , सब्ज़ पत्ते ,
कोहरे से भरी सडके,
तुम्हारा दिया हुआ स्वेटर
बस तेरे हाथ को छु लेने भर की खवाहिशें और दिसम्बर की ये सर्द राते !!