तुम और नवंबर तुम उस नज़्म को मत भुलना ,जिसे मैने इस महीने की तरह तुम्हारे नाम कर दिया था. तेरे पैरों मैं पयाल को पिरो दिया था... जिस्से तुम पयालों से धुन निकाल सको और मै उस नज़्म से गीत बाना सकुन. तुम और मै नवंबर की हर रात मैं वो गीत सुनेंगे और फीर तुम चली जाना... penned_vikas