अंधेरा देख मेरे दिल मे इसे बदनाम मत करना, ये चाहत नाम-ए-धोखा है कभी इकरार मत करना। नहीं चाहता पचसौं लोग मे चर्चा हो अपने मोहब्बत की, की आना मुझसे मिलने तुम, मगर फिर शाम मत करना।