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सुनो, तुम्हारे इश्क़ में ज़रूरत से ज्यादा ही खिंचाव

सुनो,
तुम्हारे इश्क़ में ज़रूरत से ज्यादा ही खिंचाव है,
मै शिशिर में पतंग सा लड़खड़ाता हूँ और तुम्हारी यादें डोर सी तन कर मुझे बादलों के ऊपर पहुँचा देती है।

तुम्हारा
विक्रम #LoveInHindi
सुनो,
तुम्हारे इश्क़ में ज़रूरत से ज्यादा ही खिंचाव है,
मै शिशिर में पतंग सा लड़खड़ाता हूँ और तुम्हारी यादें डोर सी तन कर मुझे बादलों के ऊपर पहुँचा देती है।

तुम्हारा
विक्रम #LoveInHindi