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एक ये इतंजार है जो कटता नहीं अपनी बेपरवाहिओ से मै

 एक ये इतंजार है जो कटता नहीं
अपनी बेपरवाहिओ से मै हटता नहीं
ये गरूर है मेरा या मेरी शर्म
मेरे करीब होकर भी तू मुझे मिलता नहीं
खामोश हो जाता हू 
तेरे ख्याल मे ए जिन्दगी
रास्त हीे रास्ते दिये बस
चुनना भी सीखा देती
 एक ये इतंजार है जो कटता नहीं
अपनी बेपरवाहिओ से मै हटता नहीं
ये गरूर है मेरा या मेरी शर्म
मेरे करीब होकर भी तू मुझे मिलता नहीं
खामोश हो जाता हू 
तेरे ख्याल मे ए जिन्दगी
रास्त हीे रास्ते दिये बस
चुनना भी सीखा देती
vinaykumar3349

Vinay Kumar

New Creator

एक ये इतंजार है जो कटता नहीं अपनी बेपरवाहिओ से मै हटता नहीं ये गरूर है मेरा या मेरी शर्म मेरे करीब होकर भी तू मुझे मिलता नहीं खामोश हो जाता हू तेरे ख्याल मे ए जिन्दगी रास्त हीे रास्ते दिये बस चुनना भी सीखा देती #Poetry