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वो इश्क़ भी क्या इश्क़ है जिसकी आग सिर्फ़ दो दिलो में

वो इश्क़ भी क्या इश्क़ है जिसकी आग सिर्फ़ दो दिलो में लगे ।कहानी तो तब मुक्कमल हो जब धुंआ उठे ज़हन में ओर आग पूरे शहर में लगे।
वो इश्क़ भी क्या इश्क़ है जिसकी आग सिर्फ़ दो दिलो में लगे ।कहानी तो तब मुक्कमल हो जब धुंआ उठे ज़हन में ओर आग पूरे शहर में लगे।