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आजादी में चरखे की भूमिका से कतई इनकार नहीं। लेकिन

आजादी में चरखे की भूमिका से कतई इनकार नहीं।
लेकिन सिर्फ चरखे से आजादी आई, बात ये स्वीकार नहीं।।
आंखों पे चढ़ा ये सियासी चष्मा उतार के देखो,
ये लाल हैं मां भारती के कोई आतंकी या गद्दार नहीं।।

आजादी के अग्निकुंड में वो हुंकारों वाली बोली कैसे तुम भूल गए।
वो जलियाँवाला बाग वो खूनी होली कैसे तुम भूल गए।।
लालाजी का खून से लथपथ वो सर कैसे तुम भूल गए।
भगत सिंह की फांसी,  शेखर की अंतिम गोली कैसे तुम भूल गए।।

आजादी के माथे पे ये दाग है कुछ लोगों की मनमानी का।
भूल गए त्याग हम, मां भारती के बेटों की कुर्बानी का।।
ये देख रोया हर्दय हर स्वातंत्रता सेनानी का,
चटुकारों को सिंहासन, बलिदानों को मिला जख्म कालापानी का।।
विनोद विद्रोही 
नागपुर  follow me on Instagram: vinodvidrohi 
Facebook: Vinod Vidrohi
आजादी में चरखे की भूमिका से कतई इनकार नहीं।
लेकिन सिर्फ चरखे से आजादी आई, बात ये स्वीकार नहीं।।
आंखों पे चढ़ा ये सियासी चष्मा उतार के देखो,
ये लाल हैं मां भारती के कोई आतंकी या गद्दार नहीं।।

आजादी के अग्निकुंड में वो हुंकारों वाली बोली कैसे तुम भूल गए।
वो जलियाँवाला बाग वो खूनी होली कैसे तुम भूल गए।।
लालाजी का खून से लथपथ वो सर कैसे तुम भूल गए।
भगत सिंह की फांसी,  शेखर की अंतिम गोली कैसे तुम भूल गए।।

आजादी के माथे पे ये दाग है कुछ लोगों की मनमानी का।
भूल गए त्याग हम, मां भारती के बेटों की कुर्बानी का।।
ये देख रोया हर्दय हर स्वातंत्रता सेनानी का,
चटुकारों को सिंहासन, बलिदानों को मिला जख्म कालापानी का।।
विनोद विद्रोही 
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