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Muhabbat ki guzarish हम एक परिंदे से मुहब्बत की

 Muhabbat ki guzarish 
 हम एक परिंदे से मुहब्बत की गुजारिश करते रह गए
आसमां के मुसाफिर को ज़मीन पर बसाने में रह गए


चैन-ओ-सुकूँ गंवा बैठे इस इश्क़ की बंजर ज़मीन पर
मुहब्बत हमारी परवाज़ कर गयी, हम तकते ही रह गए
www.ibadat-e-lafz.com©
 Muhabbat ki guzarish 
 हम एक परिंदे से मुहब्बत की गुजारिश करते रह गए
आसमां के मुसाफिर को ज़मीन पर बसाने में रह गए


चैन-ओ-सुकूँ गंवा बैठे इस इश्क़ की बंजर ज़मीन पर
मुहब्बत हमारी परवाज़ कर गयी, हम तकते ही रह गए
www.ibadat-e-lafz.com©

Muhabbat ki guzarish हम एक परिंदे से मुहब्बत की गुजारिश करते रह गए आसमां के मुसाफिर को ज़मीन पर बसाने में रह गए चैन-ओ-सुकूँ गंवा बैठे इस इश्क़ की बंजर ज़मीन पर मुहब्बत हमारी परवाज़ कर गयी, हम तकते ही रह गए www.ibadat-e-lafz.com© #Poetry

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