Muhabbat ki guzarish हम एक परिंदे से मुहब्बत की गुजारिश करते रह गए आसमां के मुसाफिर को ज़मीन पर बसाने में रह गए चैन-ओ-सुकूँ गंवा बैठे इस इश्क़ की बंजर ज़मीन पर मुहब्बत हमारी परवाज़ कर गयी, हम तकते ही रह गए www.ibadat-e-lafz.com©