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इक ऐसी फ़ज़ा जिस तक ग़म की न रसाई हो दुनिया की हव

इक ऐसी फ़ज़ा जिस तक ग़म की न रसाई हो 
दुनिया की हवा जिस में सदियों से न आई हो 
ऐ इश्क़ जहाँ तू हो और तेरी ख़ुदाई हो 

ऐ इश्क़ वहीं ले चल! 
ऐ इश्क़ कहीं ले चल!
इक ऐसी फ़ज़ा जिस तक ग़म की न रसाई हो 
दुनिया की हवा जिस में सदियों से न आई हो 
ऐ इश्क़ जहाँ तू हो और तेरी ख़ुदाई हो 

ऐ इश्क़ वहीं ले चल! 
ऐ इश्क़ कहीं ले चल!