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नसीहतें नही मुझको कुछ और यार दे दो , जिंदगी भर सी

नसीहतें नही मुझको कुछ और यार दे दो ,
जिंदगी भर सी गयी है मुझे अब प्यार दे दो।।
न जाने कितने ख़ंजर और हैं आस्तीनों में,
अमां यार कोई जरा सा ही ---ऐतबार दे दो 
सुमित उपाध्याय
 नसीहतें नही मुझको कुछ और यार दे दो ,
जिंदगी भर सी गयी है मुझे अब प्यार दे दो।।
न जाने कितने ख़ंजर और हैं आस्तीनों में,
अमां यार कोई जरा सा ही ---ऐतबार दे दो ।।
नसीहतें नही मुझको कुछ और यार दे दो ,
जिंदगी भर सी गयी है मुझे अब प्यार दे दो।।
न जाने कितने ख़ंजर और हैं आस्तीनों में,
अमां यार कोई जरा सा ही ---ऐतबार दे दो 
सुमित उपाध्याय
 नसीहतें नही मुझको कुछ और यार दे दो ,
जिंदगी भर सी गयी है मुझे अब प्यार दे दो।।
न जाने कितने ख़ंजर और हैं आस्तीनों में,
अमां यार कोई जरा सा ही ---ऐतबार दे दो ।।

नसीहतें नही मुझको कुछ और यार दे दो , जिंदगी भर सी गयी है मुझे अब प्यार दे दो।। न जाने कितने ख़ंजर और हैं आस्तीनों में, अमां यार कोई जरा सा ही ---ऐतबार दे दो ।। #Poetry