नसीहतें नही मुझको कुछ और यार दे दो , जिंदगी भर सी गयी है मुझे अब प्यार दे दो।। न जाने कितने ख़ंजर और हैं आस्तीनों में, अमां यार कोई जरा सा ही ---ऐतबार दे दो सुमित उपाध्याय नसीहतें नही मुझको कुछ और यार दे दो , जिंदगी भर सी गयी है मुझे अब प्यार दे दो।। न जाने कितने ख़ंजर और हैं आस्तीनों में, अमां यार कोई जरा सा ही ---ऐतबार दे दो ।।