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न जाने कितनी बार तुम्हे यूँ भी याद किया मैंने उता

न जाने कितनी बार तुम्हे यूँ भी याद किया मैंने

उतारकर शायरी के रूप कागज पर तुम्हें,फिर उसी कागज को चूम लिया मैंने
न जाने कितनी बार तुम्हे यूँ भी याद किया मैंने

उतारकर शायरी के रूप कागज पर तुम्हें,फिर उसी कागज को चूम लिया मैंने