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कभी अकेले मैं मिलकर झंजोड़ दूंगा उसे.... जहाँ जहाँ

कभी अकेले मैं मिलकर झंजोड़ दूंगा उसे....
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे....
ओर मुझे वो छोड़ गयी ये कमाल है उसका....
इरादा मेने किया था कि छोड़ दूंगा उसे.....
पसीने बाटता फिरता है हर तरफ सूरज.....
कभी अकेले मैं मिले तो निचोड़ दूंगा उसे.....
कभी अकेले मैं मिलकर झंजोड़ दूंगा उसे....
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे....
ओर मुझे वो छोड़ गयी ये कमाल है उसका....
इरादा मेने किया था कि छोड़ दूंगा उसे.....
पसीने बाटता फिरता है हर तरफ सूरज.....
कभी अकेले मैं मिले तो निचोड़ दूंगा उसे.....