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वो एक मुलाक़ात.... आज जब यादो के मखमली बिस्तर में स

वो एक मुलाक़ात....
आज जब यादो के मखमली बिस्तर में सोते हुए ख्वाब में तुम्हारा दीदार हुआ  तो ज़िन्दगी की खूबसूरत यादो की डायरी खुली !
और  उस खूबसूरत डायरी के पन्नो को पलटते पलटते वो पन्ना खुला जिसमे हमारी एक खूबसूरत मुलाक़ात का वो किस्सा आज भी अपनी खुशबू से मेरे कमरे को महका देता हैं !!
तुमसे मिलने की खुशी में दिसंबर की सर्द रात भी मुझे सावन की बारिश की तरह महसूस हो रही थी !! 
इतवार की सुबह का सूरज निकलने से पहले ही मुझे तुम्हारे चाँद से चेहरे का दीदार करना था इसलिए  रात को  11 बजे वाली ट्रेन से चलने के लिए दिल को रजामंद किया !!
उस दिन स्टेशन पर सुबह होने का इंतज़ार करना जिंदगी के सबसे मुश्किल कामो में से एक था ! खैर इंतज़ार की
उस मुश्किल जंग से जीतते ही  उस सर्द सुबह में तुम्हे देखने की ख्वाहिश की तपिश दिल मे लिए तुम्हारे घर पहुँचा !!

जब तुमने खुले बालो पर गुलाबी मखमली कैप ओढ़े हुए दरवाज़ा खोला तो यू  लगा जैसे सफ़ेद चाँद के ऊपर गुलाबी घटाए घिर आयी हो !!
फिर तुम्हारे हाथों की बनी चाय की खुशबू और प्लेट में रखी गर्म पकोड़ियां जैसे इतराकर कह रही थी कि बहुत खुशनसीब हो तुम जो ये खूबसूरत मुलाक़ात तुम्हारे मुक़द्दर में आई है !!
देखते देखते एक साल गुजर गया! अब फिर से वही सर्द मौसम है वही राते है और वही दिसंबर ! 
लेकिन अब तुम नही हो अब मेरे पास बची है सिर्फ उस एक मुलाक़ात की यादें !!
वो एक मुलाक़ात....
आज जब यादो के मखमली बिस्तर में सोते हुए ख्वाब में तुम्हारा दीदार हुआ  तो ज़िन्दगी की खूबसूरत यादो की डायरी खुली !
और  उस खूबसूरत डायरी के पन्नो को पलटते पलटते वो पन्ना खुला जिसमे हमारी एक खूबसूरत मुलाक़ात का वो किस्सा आज भी अपनी खुशबू से मेरे कमरे को महका देता हैं !!
तुमसे मिलने की खुशी में दिसंबर की सर्द रात भी मुझे सावन की बारिश की तरह महसूस हो रही थी !! 
इतवार की सुबह का सूरज निकलने से पहले ही मुझे तुम्हारे चाँद से चेहरे का दीदार करना था इसलिए  रात को  11 बजे वाली ट्रेन से चलने के लिए दिल को रजामंद किया !!
उस दिन स्टेशन पर सुबह होने का इंतज़ार करना जिंदगी के सबसे मुश्किल कामो में से एक था ! खैर इंतज़ार की
उस मुश्किल जंग से जीतते ही  उस सर्द सुबह में तुम्हे देखने की ख्वाहिश की तपिश दिल मे लिए तुम्हारे घर पहुँचा !!

जब तुमने खुले बालो पर गुलाबी मखमली कैप ओढ़े हुए दरवाज़ा खोला तो यू  लगा जैसे सफ़ेद चाँद के ऊपर गुलाबी घटाए घिर आयी हो !!
फिर तुम्हारे हाथों की बनी चाय की खुशबू और प्लेट में रखी गर्म पकोड़ियां जैसे इतराकर कह रही थी कि बहुत खुशनसीब हो तुम जो ये खूबसूरत मुलाक़ात तुम्हारे मुक़द्दर में आई है !!
देखते देखते एक साल गुजर गया! अब फिर से वही सर्द मौसम है वही राते है और वही दिसंबर ! 
लेकिन अब तुम नही हो अब मेरे पास बची है सिर्फ उस एक मुलाक़ात की यादें !!