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*दर्द-ए-दिल खुल के आज सुना दूँ सबको,* *जी चाहता ह

*दर्द-ए-दिल खुल के आज सुना दूँ सबको,*

*जी चाहता है कुछ ऐसा लिखूं के रुला दूँ सबको.*
*दर्द-ए-दिल खुल के आज सुना दूँ सबको,*

*जी चाहता है कुछ ऐसा लिखूं के रुला दूँ सबको.*