एक जैसी ही दिखती थी.. माचिस की वो तीलियां.. कुछ ने दिये जलाये.. और कुछ ने घर..!! . कुछ ने महकाई अगरबतियां मन्दिरों में, तो कुछ ने सुलगाये सिगरेट के कश...!! . कहीं गरमाया चूल्हा और बनी रोटियां, तो कहीं फ़टे बम और बिखरी बोटियां..!! . जली कहीं शादी में बन हवनकुंड की अगन, तो फूंकी गयी दहेज़ की कमी से कोई सुहागन..!! . काजल कभी नवजात शिशु का बनाया, तो शमशान में किसी चिता को जलाया..!! . जला आग ठिठुरती ठण्ड में गरीब को बचाया, तो बन के बॉन फायर कभी रईसों को रिझाया..!! . एक सी दिखती थी माचिस की वो तीलियां पर, सभी ने अपना एक अलग ही रंग दिखाया.!! dard