बेवजह अब मैं चहकता हु, खामखा यूही बहकता हु, जब से देखा है तुझे ऐ सनम, और कुछ ना मैं अब देखता हूं।। चाहे कुछ ना रहे पास मेरे, बस तू ही मुझमे आती जाती रहे। ना कोई और आरजू फिर बाकी रहे, जो मैं तुझमे समा जाऊ और तू मुझमें बाकी रहे।