झूठ मूठ के रिश्तों की ना गठरी ढोनी चाहिए उनका हो जगराता नींदें अपनी खोनी चाहिए जज़्बातों का बने तमाशा अधरझूल में रहने से नफरत या मोहब्बत पूरे दिल से होनी चाहिए "सूर्यप्रकाश उपाध्याय"