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*कौन मेरी चाहतों का फसाना समझेगा इस दौर में,* *यहा

*कौन मेरी चाहतों का फसाना समझेगा इस दौर में,*
*यहाँ तो लोग अपनी जरुरत को मोहब्बत कहते हैं*
*कौन मेरी चाहतों का फसाना समझेगा इस दौर में,*
*यहाँ तो लोग अपनी जरुरत को मोहब्बत कहते हैं*