A short story- insaan
"अरे ओ अली, चल घर, आज फिर तू इन छोरों के साथ"
"अरे ओ शिवा, चल घर, आज फिर तू इन छोरों के साथ"
"लो भाई, फिर शुरू हो गए ये दोनों" अली और शिवा दोनों मुस्कराए।
"चलो रे भाई लोगों, कल मिलते है फिर स्कूल में" कहकर सब बच्चों ने एक दूसरे से विदा ली
आइस क्रीम वाला रोज़ ये तमाशा देखता और मुस्कराकर ऊपर की ओर हाथ उठाकर कहता," हे भगवान, तूने तो इंसान बनाये, पर ये जैसे जैसे बड़े होते जाते है हिन्दू मुस्लिम में बंट जाते है।"
कहकर वो भी अपने रास्ते चला गया और रह गए बस हिन्दू और मुसलमान। एक दूसरे को धमकी देते हुए और अपने अपने बच्चों से दूर रहने की सलाह देते हुए।
उनको तो ये भी नज़र ना आया कि कुछ दूर जा कर बच्चे फिर से एक दूसरे के गले में हाथ डाले घर की ओर लौट रहे है। एक दूसरे की आइस क्रीम झपटते हुए, मस्ती में उमंग से भरी मज़हब को नकारती सिर्फ इंसानियत से भरी हुई इनकी हंसी। #Poetry