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खामखा इतने गहरे हो गये आज खुद पे ही पहरे हो गये

खामखा इतने गहरे हो गये 
आज खुद पे ही पहरे हो गये 
कोई ना पढ़ सका जज़्बातो को 
अनजान सारे चेहरे हो गये
खामखा इतने गहरे हो गये 
आज खुद पे ही पहरे हो गये 
कोई ना पढ़ सका जज़्बातो को 
अनजान सारे चेहरे हो गये