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सोचा था बनाऊँगी उसे, अपने आँखों का काजल, कमबख्त वो

सोचा था बनाऊँगी उसे,
अपने आँखों का काजल,
कमबख्त वो कोयले की,
कालिख़ से भी ज़्यादा,
बदत्तर निकला वो तो।
सोचा था बनाऊँगी उसे,
अपने आँखों का काजल,
कमबख्त वो कोयले की,
कालिख़ से भी ज़्यादा,
बदत्तर निकला वो तो।