जर्रे जर्रे में हैं साया तेरा,लगता हर बार नया है
मुश्किलातों का किया सामना,मंज़र यूँ नया है
तकलीफों को भूलते,फिर दर्द हर बार नया है
ज़ख्म भी देते हैं, लेकिन दवा हर बार नया है
हाथो में हाथ उनके,हाथ यूँ साथ हर बार नया है
बदलते रहते रिस्ते अक्सर,रिस्ता हर बार नया है #Poetry#akib