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OMG INDIA WORLD
कोई #जिस्म पर अटक गया कोई #दिल पर अटक गया_❤ #इश्क़ उसका ही #मुक्कमल हुआ जो #रूह तक #पहुंच गया.....❤ ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD कोई #जिस्म पर अटक गया कोई #दिल पर अटक गया_❤ #इश्क़ उसका ही #मुक्कमल हुआ जो #रूह तक #पहुंच गया.....❤
Snehi Uks
वहाँ भी तुम ... पहुंच ही जाओगे... गर उससे पहले ... खुद को समझ पाओगे... ©Snehi Uks #faraway #वहाँ #तुम ... #पहुंच #ही #जाओगे #गर #उससे #पहले ... #खुद को समझ पाओगे...
ROHAN KUMAR SINGH
#शादीशुदा लोगों से #अपील कृपया #लूडो न #खेलें #घर की बात #थाने तक #पहुंच गई 🤣🤣
पोएट्री OTM
मुझे छोटा कहते हो, कद से मापते हो क्या, कभी अपने हद से बाहर निकल कर देख लो, मुझ तक पहुंच पाते हो क्या। #मुझे #छोटा ..... #कद से #मापते .... #कभी....#हद से भी #बाहर .... मुझ #तक #पहुंच ..... #NojotoVOW
Lata Sharma सखी
तेरी चाहत का आसमाँ क्यों इतना बड़ा और ऊंचा है, जहाँ तक मेरे हाथ और कोशिश दोनो नहीं पहुँच पाते। ©सखी #चाहत #पहुंच #हाथ
Amit Lodhi
पहुंच जाती है तू वहीं,जहाँ मैं तुझे जाने से रोकता हूँ... पहुंच जाती है तू वहीं,जहाँ मैं तुझे जाने से रोकता हूँ... पता नहीं क्यों, मेरी बात को टालना तेरी आदत में, शुमार हो गया है ... ।। -Amit Lodhi
Poetry with Avdhesh Kanojia
मेरी दृष्टि ✍️अवधेश कनौजिया© #मेरी_दृष्टि ............ शोशल मीडिया पर विजया दशमी आते आते प्रतिवर्ष एक आधारहीन शरारती तत्वों द्वारा रचित एक सन्देश बहुत प्रसारित होता है। जिसमें मृत्यु शैय्या पड़ा रावण उनसे कहा है कि *वह उनसे वर्ण में बड़ा है। *आयु में बड़ा है। *उसका कुटुम्ब श्रीराम के कुटुम्ब से बड़ा है। *वह उनसे अधिक वैभवशाली है।
नीर
अब डर नहीं लगता ना तेरे छल कपट वाले पूर्ण ज्ञान से ना अपने भावपूर्ण आधे अधूरे ज्ञान से। मेरी पहुंच तो सीमित हो गई- २ बात तो तेरी पहुंच की हैं-२ ना जाने कितना बदनाम करेगा तेरा भावनाओ से परिपूर्ण पूर्ण ज्ञान।।
Babu Qureshi
सभी तो टूट गये पत्ते पेड़ से तूफान छुपे खड़े थे कितनी देर से रिश्तों का बोझ था तो वो भी उतर गया चलो तुम भी गैर से और हम भी गैर से कौन सी मजबूरी ने तुम्हें मेरा कर दिया था क्यों आज़ाद हो गये मेरे हक और मेहर से कभी ये गांव मोहब्बत के हुआ करते थे फिर क्यों नज़र आने लगे ये शहर से हमें इस पार और तुम्हें उस पार कर दिया मैं कहां हूं मतलब नहीं तुम तो पहुंच गये खैर से बात ज़माने में ले आये हो फैसला कौन करेगा कौन कितना टूटा एक दूसरे के अंधेर से पहुंच तो मैं भी गया था पता नहीं मिला पेड़ उखाड़ लिया था किसी ने मुंडेर से शायर - बाबू कुरैशी #किसकी लगी नज़र
Kapil Nayyar
चलते चलते कहाँ पहुंच गया हूं मैं... कहाँ गई मेरी गलियां, मेरा शहर कहाँ रह गया... ईंट ईंट जोड़ के बनाया था ये मकान... खाली कमरे हैं बचे, मेरा घर कहाँ रह गया... चिल्लाना जो चुभता थाचलते चलते कहाँ पहुंच गया हूं मैं... कहाँ गई मेरी गलियां, मेरा शहर कहाँ रह गया... ईंट ईंट जोड़ के बनाया था ये मकान... खाली कमरे हैं बचे, मेरा घर कहाँ रह गया... चिल्लाना जो चुभता था, वो अब बहोत खलता है... रुक सा गया है सब कुछ, मेरा सफर कहाँ रह गया... कहा था उसने के एक पल के लिए भी मुझसे दूर नहीं जाएगा... मजबूरियों की कैद में, मेरा दिलबर कहाँ रह गया... मजबूरियों की कैद में, मेरा दिलबर कहाँ रह गया... #MeraShehar