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Ambika Mallik
क्षितिज पे धरा पर आसमां उतार लूँ सिंधु के आगोश में आफताब निसार लूँ दिल करता है छु लूँ चलकर सारे हंसी नज़ारे चलो आज आँखो में सारे सपने सवाँर लूँ अम्बिका मल्लिक ✍️ ©Ambika Mallik #क्षितिज Niaz (Harf) Gyanendra Kumar Pandey Sethi Ji Rameshkumar Mehra Mehra shehzadi Kirti Pandey R K Mishra " सूर्य " zarina Martin Aditya kumar prasad Paakhi Sharma Anshu writer poonam atrey Anil Ray वंदना .... 0 vineetapanchal Mili Saha Raj Guru Kushal - कुशल Andy Mann NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) AMIT RAJPUT Lalit Saxena Bhavana kmishra Umme Habiba
Ghumnam Gautam
शाम भी थी कल क्षितिज पे तब जब सागर में फिर फिसली धूप गीली-गीली हवा लगी तो ठिठुर-ठिठुरकर निकली धूप कूट-कूट कर अदरक सौंधी चाय चढ़ाई भाभी ने पीकर कड़क घूँट दो जिसके देखो कैसी निखरी धूप ©Ghumnam Gautam #शाम #क्षितिज #चाय #हवा #ghumnamgautam
Amit Singhal "Aseemit"
जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए दिखते हैं, उस दृष्टि भ्रम को ही हम सब क्षितिज कहते हैं। उसी तरह अज्ञानी लोग अल्प परिश्रम करते है, तर्क से अधिक सुपरिणाम की अपेक्षा रखते हैं। ©Amit Singhal "Aseemit" #क्षितिज
Rakesh frnds4ever
Rakesh frnds4ever
ना जाने क्या तकता रहता हूं ना जाने क्यों हर चीज से थकता रहता हूं ये मैं हूं, या फिर कोई और क्योंकि, पहले तो कभी ऐसा ना था या फिर ऐसा था, पर मुझे पता नहीं था जब से बाल्यावस्था की शुरुआती समझ आई थी तब से ये आंखे दूर क्षितिज के आसमान में ना जाने किसको तलाशती रहती हैं जैसे किसी से अनगिनत सवालों के जवाब चाहती हैं कि क्यों! ऐसा क्यों? आखिर क्यों ??? क्यों ,क्यों, क्यों,,.... ©Rakesh frnds4ever #Aasmaan #नाजाने क्या तकता रहता हूं ना जाने क्यों हर चीज से थकता रहता हूं ये #मैं हूं, या फिर कोई और क्योंकि, पहले तो कभी ऐसा ना था या फिर ऐसा था,
Ambika Mallik
#क्षितिज "क्षितिज तक जाती इस राह पर चलना है मुझे!" तोड़ दे जो दृढ़ विश्वास को, उसे छोड़ना है मुझे। जाकर बनाना है एक मुठ्ठी व्योम अपने नाम का, रोशन कर दे जीवन को ,वो सितारा जोड़ना है मुझे। अम्बिका मल्लिक ✍️ ©Ambika Mallik #क्षितिज poonam atrey #kukku2004 वंदना .... Kirti Pandey Babli BhatiBaisla Babli BhatiBaisla Mili Saha Anshu writer Anil Ray मीत Bhavana kmishra aasha chauhan Yogita Agarwal Poonam Awasthi Manisha Maru
Simant Sharma
इस तरह गुज़र रही है जिंदगी, खुली किताब की तरह ढलता हूँ क्षितिज पे मद्धम हो कर, आफ़ताब की तरह मुझे आरज़ू ना रही कुछ पाने की, ना खोने का डर हैं बस इल्तिजा है, तुम्हें पाने की, किसी सवाब की तरह क्षितिज: वह स्थान जहां धरती और आकाश मिलतें हुए से प्रतीत होते हैं आफ़ताब: सूरज, सूर्य इल्तिजा: प्रार्थना, निवेदन सवाब: अच्छे कार्य का फल खुली किताब की तरह मुझे मिली है ज़िन्दगी... #खुलीकिताब #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
sushil mishra
मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ सहज भाव से लेखनी को लेकर अपने हाथ मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ कभी नदियाँ कभी अम्बर कभी पंक्षी कभी समुंदर कभी बारिश कभी बुन्दो पर लिख देता हूँ कभी बदलते वेश कभी बदलते परिवेश पर लिख देता हूँ कभी कोई घटना जो झकझोर देती हृदय की गहराइयों को उस पर लिख देता हूँ लेखनी को लेकर हाथ मैंने कोशिश की कविता तुम ने उसमें स्वर दिये लोगो से अपनी बात कही सहज सब ने मुझ को सहर्ष स्वीकार किया है सुशील तब जा कर सुशील से "क्षितिज राज" हो पाया है सुशील मिश्रा (क्षितिज राज) ©sushil mishra #मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ सहज भाव से लेखनी को लेकर अपने हाथ मन को कर देता हूँ मौसमो के साथ कभी नदियाँ कभी अम्बर कभी पंक्षी कभी समुंदर कभी बारिश कभी बुन्दो पर लिख देता हूँ कभी बदलते वेश
Shashi Bhushan Mishra
क्या मिसाल दूँ समझौते की किसको कहते हैं, काँटों में खिलते गुलाब से मिलकर रहते हैं, कर्मशील इंसान की है पहचान यही जग में, ख़ुश्बू और मुस्कान साथ में लेकर चलते हैं, राह के कंटक से बचकर ही चलना श्रेयस्कर, दुर्जन तो मीठी बातों से सबको छलते हैं, मत तलाश ख़ुशियाँ गैरों की झोली में अपनी, नदियाँ अपनी प्यास और जल लेकर बहते हैं, रिश्ते की बुनियाद जरूरत के बलपर टिकती, प्रेम और विश्वास फूल सा दिल में खिलते हैं, हर दिन इस उम्मीद में थककर सो जाते 'गुंजन', धरती और आकाश एक दिन क्षितिज पे मिलते हैं, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #क्षितिज पे मिलते हैं#
Mamta Singh
कल्पना के पंख पसार उड़ चली मैं क्षितिज के उस पार जहा एक प्यारा सा गाँव है माँ-बाबा के स्नेह की जहा मिलती शीतल छाँव है जिम्मेदारी का जहा शाेर नहीं स्नेह का वहां काेई ओर छाेर नहीं थाेड़ी देर उनकी गाेद में सर रख कर साे लूंगी ख्वाब टूटने से पहले एक बार फिर बचपन काे अपने जी लूंगी..... आज से पितृ पक्ष कि शुरूआत हाे गयी है।कहते है इस समय हमारे पुर्वज अपने बच्चाें पर स्नेह की बारिश करते है...🙏🙏🙏🙏🙏 #क्षितिज #कल्पना #माँपापा #पितृपक्षप्रपूजिता #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqquotes