Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best राजसिंह Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best राजसिंह Shayari, Status, Quotes from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about

  • 3 Followers
  • 34 Stories
    PopularLatestVideo

Raju Mandloi

क्यों हुआ था अर्जुन और भगवान शिव का युद्ध
→→↓↓→→↓↓→→↓↓→→↓↓→→↓↓→→↓↓
अपने वनवास के समय पाण्डव राजकुमार अर्जुन, पशुपतास्त्र पाने की कामना से शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगे। दिन बीतने के साथ-साथ उनकी तपस्या कठोरतर होती जाती थी। परिणामस्वरूप धरती गर्म होने लगी। इन्द्रालिका पर्वत पर तपस्या करने वाले अन्य ऋषि घबरा उठे। धरती का ताप असह्य होने पर वे कैलाश पर्वत पर जाकर शिव से प्रार्थना करने लगे, “हे महादेव! आप कृपया अर्जुन को इस कठोर तपस्या से रोकिए। हम सब ताप को सहने में अक्षम हैं।” 

शिव भगवान ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, “मैं अवश्य ही आपकी सहायता करूँगा। आप लोग आश्वस्त रहें और अपनी तपस्या में रत रहें।” 

पार्वती यह सब सुनकर चिंतित हो उठीं। तपस्वियों के जाने के पश्चात् चिंतित पार्वती को देखकर शिव भगवान ने उनसे पूछा, “हे पार्वती! आप किस चिंता में मग्न हैं?” 

भगवती पार्वती ने उत्तर दिया, “हे प्रभु! मैं यह सोच रही हूँ कि अर्जुन आखिर इतनी कठोर तपस्या क्यों कर रहा है?” 

प्रभु ने उत्तर दिया, “पार्वती, भविष्य में अवश्यंभावी युद्ध के लिए वह मेरा आशीर्वाद तथा दिव्यास्त्र प्राप्त करना चाहता है।” 

भगवती पार्वती ने पुनः पूछा, “हे प्रभु! मुझे विस्मय है कि क्या वह उन दिव्यास्त्रों का उचित प्रयोग करेगा?” 

मुस्कुराते हुए शिव भगवान ने उत्तर दिया, “हूँ… अब यह तो समय ही बताएगा, हमें प्रतीक्षा करनी होगी।” 

अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए शिव भगवान एक शिकारी का वेष धरकर पार्वती को साथ लेकर, चल दिए। इन्द्रालिका पर्वत के पास ही उन्हें एक जंगली सूअर दिखाई दिया। भगवती पार्वती ने उस छद्म रूपधारी सूअर को पहचानकर शिव भगवान को सावधान करते हुए कहा, “हे प्रभु! यह कोई पशु नहीं वरन् असुर मुका है।” 

शिव भगवान भी उसे पहचान गए थे। उन्होंने कहा, “हाँ, वह मुका ही है। सम्भवतः यह यहाँ साधकों को परेशान करने आया है।” 

ऐसा कहकर शिव ने धनुष लेकर जंगली सूअर पर निशाना साधा पर वह जंगली सूअर उनकी उपस्थिति भाँपकर भाग निकला। शिव भगवान उसका पीछा करते करते साधुओं की कुटिया तक पहुंच गए। सूअर को देखते ही साधु इधर-उधर भागने लगे। 

मुका भागते-भागते ध्यानमग्न अर्जुन तक पहुँच गया। हलचल से अर्जुन की आँख खुली। उसने तुरंत अपना धनुष उठाकर निशाना साधा। तभी शिकारी वेशधारी शिव भगवान ने वहाँ पहुँचकर अर्जुन से कहा, “ठहरो, उसे मत मारो। वह मेरा शिकार है। मैं इन्द्रालिका पर्वत से उसका पीछा करता आ रहा हूँ।” 

अर्जुन ने शिवजी को नहीं पहचाना। क्रुद्ध होते हुए उसने कहा, “मैं इस सूअर को मारूँगा। वह स्वयं मेरे मार्ग में आया है। अतः उसे मारने का अधिकार मुझे है।” 

दोनों में बहस होने लगी। अंततः गर्व से परिपूर्ण अर्जुन ने कहा, “क्यों न हम दोनों इस जंगली सूअर पर निशाना साधे और देखें कि कौन अच्छा शिकारी है…” 

दोनों ने एक साथ निशाना साधकर तीर छोड़ा। तीर सूअर को लगा और सूअर की जगह असुर मुका वहाँ प्रकट हुआ। उसके मुख से दर्दनाक चीख निकली और वह गिरकर ढेर हो गया। 

अब अर्जुन और शिवजी में इस बात को लेकर तर्क होने लगा कि किसका तीर सूअर को पहले लगा था। अर्जुन किसी भी स्थिति में अपनी हार मानने के लिए तैयार नहीं था। अंततः उसने कहा, “ठीक है, अब आप मुझसे युद्ध करके यह सिद्ध करें कि आप श्रेष्ठ धनुर्धर हैं।” 

भगवान शिव और अर्जुन के मध्य युद्ध होने लगा। तीर चलते जा रहे थे। शीघ्र ही तरकश के बाण समाप्त हो जाने से अर्जुन परेशान होने लगा। शिकारी रूपधारी शिव भगवान मुस्कराए और बोले, “हे महान् आत्मन्! क्या और बाणों की आवश्यकता है? मुझसे आप ले सकते हैं।” 

अर्जुन ने इसे अपना उपहास और अनादर समझकर तुरंत अपनी तलवार निकाल ली और शिकारी पर टूट पड़ना चाहा। आश्चर्यजनकरुप से तलवार माला में बदल गई और शिकारी के गले की शोभा बढ़ाने लगी। अर्जुन ने अभी भी हिम्मत नहीं हारी। उसने पास के वृक्ष को उखाड़कर शिकारी की ओर फेंका जिससे बड़ी ही कुशलता से शिकारी बच गया। कोई मार्ग शेष न देखकर अर्जुन ने ईश्वर की शरण में ही जाना उचित समझा। 

अपनी आँखें बंद कर वह ध्यानस्थ हो बैठ गया और मिट्टी का एक शिवलिंग बनाया और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करने लगा। अचानक उसने अपने शरीर में एक झटका सा अनुभव किया। उसे लगा मानो कोई अदृश्य शक्ति आकर उसे आशीर्वाद दे रही हो। वह स्वयं में स्फूर्ति का अनुभव करने लगा। धीरे से उसने अपनी आँखें खोलीं। सामने ही शिकारी को उसने खड़ा देखा जो पलक झपकते ही शिव भगवान में परिवर्तित हो गया। साक्षात् शिव भगवान को सामने देखकर अर्जुन विस्मित रह गया और उसे सारी बातें समझ में आ गई। 

करबद्ध हाथों से अपने घुटनों पर बैठकर विनम्रता से अर्जुन ने कहा, “हे मेरे प्रभु! कृपया मुझे क्षमा कर दें। मैं आपको पहचान न सका… 

शिव भगवान ने अर्जुन को आशीर्वाद देते हुए कहा, “अर्जुन, मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हुआ। मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था जिसमें तुम सफल हुए। तुम बहुत ही अच्छे योद्धा हो।” 

शिव भगवान ने अर्जुन को उसका इच्छित पशुपतास्त्र प्रदान करते हुए कहा, “यह रहा मेरा आशीर्वाद युक्त तीर पशुपतास्त्र जो कि युद्ध में तुम्हारी सहायता करेगा।” 

शिव जी ने अर्जुन को समझाया था कि कभी भी किसी छोटा न समझें और कभी भी अपनी शक्तियों पर घमंड न करें। अर्जुन को अपनी गलती का एहसास हो गया था, उन्होंने शिव जी से क्षमा मांगी।

शिवजी के प्रति अपनी अनन्य भक्ति के कारण कलियुग में, मोक्ष प्राप्ति के पूर्व, अर्जुन को शिव के अनन्य भक्त कनप्पा नयनार के रूप में जन्म लेना पड़ा था। साभार🙏🏽

दिनांक - ०४.१२.२०२२
---#राजसिंह---

©Raju Mandloi #सनातनधर्म

Raju Mandloi

#सनातन_टैटू आज युवाओं में टैटू बनवाना खासा प्रचलित हो रहा है लेकिन बहुत ही कम लोगों को ही है ज्ञात होगा कि टैटू परंपरा सनातन हिंदू भारत से ही निकलकर संपूर्ण विश्व में फैल गई आइए इसी प्रकार के कुछ टैटू देखते हैं तथा उन्हें समझने का प्रयास करते हैं कि किस प्रकार भारत में योद्धा, उच्च पदों पर बैठे पदाधिकारी, व्यापारी तथा आम जनमानस अपने विभिन्न अंगों पर टैटू का प्रयोग करते थे। यंत्र या सक यंत पारंपरिक दक्षिणपूर्व एशियाई टैटू का एक रूप है जो सनातन हिंदू यंत्र डिजाइनों का उपयोग करता है, जिनमें से कु #राजसिंह #समाज

read more
#सनातन_टैटू

आज युवाओं में टैटू बनवाना खासा प्रचलित हो रहा है लेकिन बहुत ही कम लोगों को ही है ज्ञात होगा कि टैटू परंपरा सनातन हिंदू भारत से ही निकलकर संपूर्ण विश्व में फैल गई आइए इसी प्रकार के कुछ टैटू देखते हैं तथा उन्हें समझने का प्रयास करते हैं कि किस प्रकार भारत में योद्धा, उच्च पदों पर बैठे पदाधिकारी, व्यापारी तथा आम जनमानस अपने विभिन्न अंगों पर टैटू का प्रयोग करते थे।

यंत्र या सक यंत पारंपरिक दक्षिणपूर्व एशियाई टैटू का एक रूप है जो सनातन हिंदू यंत्र डिजाइनों का उपयोग करता है, जिनमें से कुछ, क्रॉस, एक्सिस मुंडी, शक्ति और सुरक्षा का एक सार्वभौमिक प्रतीक है, ऐसा माना जाता है कि पहला धर्म, स्पर्शवाद, और दुनिया भर में व्यावहारिक रूप से सभी प्राचीन संस्कृतियों के लिए आम हैं।

अन्य पवित्र ज्यामितीय डिजाइन, जानवरों और देवताओं का उपयोग आमतौर पर लिखित वाक्यांशों के साथ किया जाता है, जो पहनने वाले को शक्ति, सुरक्षा, भाग्य, चमत्कार और अन्य लाभ प्रदान करने के लिए कहा जाता है। 

साहस और चमत्कार
वे सनातन योद्धाओं, सेनानियों, और सत्ता के पदों पर बैठे लोगों तथा सभी जातियों में सामान्य थे, योद्धाओं में यह आमतौर पर एक दूसरे का सामना करने वाले दो बाघों के साथ दर्शाया जाता है।

-छवि का श्रेय उनके संबंधित लेखकों को जाता है।

दिनांक - ०५.१२.२०२२
---#राजसिंह---

©Raju Mandloi #सनातन_टैटू

आज युवाओं में टैटू बनवाना खासा प्रचलित हो रहा है लेकिन बहुत ही कम लोगों को ही है ज्ञात होगा कि टैटू परंपरा सनातन हिंदू भारत से ही निकलकर संपूर्ण विश्व में फैल गई आइए इसी प्रकार के कुछ टैटू देखते हैं तथा उन्हें समझने का प्रयास करते हैं कि किस प्रकार भारत में योद्धा, उच्च पदों पर बैठे पदाधिकारी, व्यापारी तथा आम जनमानस अपने विभिन्न अंगों पर टैटू का प्रयोग करते थे।

यंत्र या सक यंत पारंपरिक दक्षिणपूर्व एशियाई टैटू का एक रूप है जो सनातन हिंदू यंत्र डिजाइनों का उपयोग करता है, जिनमें से कु

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्ह

read more
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
2 - शरण या कृपा?

'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्ह

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्हा सुकुमार लाल चमत्कार क्या जाने। यवनों के #Books

read more
|| श्री हरि: ||
2 - शरण या कृपा?

'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्हा सुकुमार लाल चमत्कार क्या जाने। यवनों के


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile