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Brijesh Kumar (बीटीसी वाले)

* बीटीसी करते हुए ,बीते कुछ लम्हे*

मै भूल नहीं सकता उसको, हर दिन आज भी है याद मुझे
बीटीसी के चक्कर में, जीवन हो गया बेकार मेरा 
मै भूल नहीं सकता डायट को , हर बात आज भी है याद मुझे
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याद है वो 29 जून 2018, जब भदोही में पहली बार आया था
एडमिशन नहीं लिया गया, दस्तावेज कम बोलकर डायट से घर भगाया गया
4 जुलाई को फिर, दोपहर में डायट आया
सारा दस्तावेज जमा कराके, डायट में एडमिशन कराया।
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पहले दिन की क्लास में, डायट में मैंने आया था
बैग का तकिया बनाके, सो के वो दिन बिताया था
अगले दिन के क्लास में, प्राचार्य जी जब आए थे
डायट का नियम कानून, हम सब को खूब बताए थे।
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भूल गया डेस्क ब्रेंच को, दर्री  वाला दिन याद रहा
ऐसे तैसे करके ,10 दिन जब पार  हुआ
अगले दिन के क्लास में, सफ़ेद ड्रेस पहन के आनी थी
तहस नहस हो गई पूरी, जो भी ड्रेश की सफाई थी
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मिट्टी वाली वाली दर्री पर बैठा , समझो भाग्य ही मेरा फूट गया
बस कपड़े पर ध्यान रहा मेरा, और उस दिन का पढ़ाई  छूट गया
फिर अगले दिन के क्लास में, डेस्क पर हम सबको बैठाया गया
दोस्तों के साथ मिलकर, समोसे की पार्टी मनाया गया।
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बाल विकास की क्या बात करे, संस्कृत की वहीं हाल थी
मैथ समझ में आता था, अटेंडेंस की बस मार थी
प्राचार्य जी का बहुत लगाव था, बच्चो से बहुत प्यार था
*रविरंजन* सर की स्पीच है, उसमे भी कितनी प्रीत हैं।
*राजेश* सर का आना,Precticaly सबको समझना
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*कल्पना* मैम का शासन, गजब का है प्रशासन
*अमित* सर की Smile , English पढ़ाने की style
*त्रिपाठी* सर का इतिहास, हम सब के लिए  खास
*विवेक* सर का मुस्कराहट, हिंदी पढ़ाने की आहट
*चांदनी* मैम का आना है,  तेज आवाज में पढ़ना
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जैसे तैसे पढ़ाई करते,  Exam की अोर चला
फिर दो हप्ते तक अपने बीच में, गहन पढ़ाई का दौर चला
एक दिन में 3 पेपर का, इंतिहान का युद्ध चला
1 समेस्टर का पेपर दे के,2nd समेस्टर की ओर चला
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नए समेस्टर में पढ़ाई का, बैलगाड़ी जैसी चाल है
क्लास तो रोज चलती नहीं, अटेंडेंस की बस मार हैं
पक्ष पात होता है खुल के, ये आज भी है याद मुझे
मै भूल नहीं सकता बीते पल को , हर बात आज भी है याद मुझे
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कुछ लोग 10 दिन बाद भी, डायट में जब आते  है
उनके लिए अटेंडेंस का कलम, पूरे दिन का भरवाते है
अगर हम दो दिन नहीं आए तो, रजिस्टर में apsent  लिख दिए जाते  है
कुछ लोग भी ऐसे आते हैं,Exam Hall में पहली बार  देखे जाते हैं
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एक दिन जब ऐसा आया, प्राचार्य जी ट्रांसफर लेटर आया
प्राचार्य जी की विदाई थी, हम सब की आंख भर आई थी
be paunchul वाली प्राचार्य जी की  बात आज भी है याद मुझे
मैं भूल नहीं सकता उस पल को , हर बात आज भी है याद मुझे
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*Brijesh Kumar ghazipur*
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान
8932901269 आंखो देखा हाल

आंखो देखा हाल #कविता

7 Love

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || 10 - आर्त 'बाबूजी! आज तो आप कहीं न जायें।' कोई नीचे से गिड़गिड़ा रहा था। उसका लड़का बिमार था और उसकी दशा बिगड़ती जा रही थी। आज कम्पाउंडर आया नही था। अस्पताल बंद रखना कल शाम को निश्चित हो चुका था वृद्ध डाक्टर अपने मकान में ऊपरी तल्ले में बैठे अपनी लड़की से श्रीमद्भागवत का बंगला अनुवाद सुन रहे थे। 'मैं डाक्टर हूँ बेटी! स्निग्ध स्वर में उन्होंने कहा, 'मेरी आवश्यकता हिंदू-मूसलमान को समान रूप से है। कोई इस बुड्ढे को मारकर क्या पावेगा?' 'उत्तेजना मनुष्य को पिशाच बना देती है।' दूर से 'अ #Books

|| श्री हरि: || 10 - आर्त 'बाबूजी! आज तो आप कहीं न जायें।' कोई नीचे से गिड़गिड़ा रहा था। उसका लड़का बिमार था और उसकी दशा बिगड़ती जा रही थी। आज कम्पाउंडर आया नही था। अस्पताल बंद रखना कल शाम को निश्चित हो चुका था वृद्ध डाक्टर अपने मकान में ऊपरी तल्ले में बैठे अपनी लड़की से श्रीमद्भागवत का बंगला अनुवाद सुन रहे थे। 'मैं डाक्टर हूँ बेटी! स्निग्ध स्वर में उन्होंने कहा, 'मेरी आवश्यकता हिंदू-मूसलमान को समान रूप से है। कोई इस बुड्ढे को मारकर क्या पावेगा?' 'उत्तेजना मनुष्य को पिशाच बना देती है।' दूर से 'अ #Books

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