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Best दिखे Shayari, Status, Quotes, Stories

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Moh (Shivam Tiwari)

#walkingalone #अधूरी मेरी रातें तेरे बिन, अधूरी मेरी #बातें तेरे बिन । #इकपल तू जो न #दिखे...(२) तो #तड़पती ये आंखें तेरे #बिन ।। #शायरी

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Neelu Dubey

#AzaadKalakaar अगर #देशभक्ति_खून मे है तो सिर्फ #स्टेटस_मे_नही #सोच मे भी #दिखे
और जिस #शान_से_लहराते है #तिरंगा_आज तो ध्यान रखो #कल_तिरंगा_जमी पर #ना_मिले🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Happy independence day

©Neelu Dubey #AzaadKalakaar

OMG INDIA WORLD

तेरे #दीदार का #नशा भी .. .. .. #अजीब हैं .. ❣ तु ना #दिखे तो .. .. दिल #तडपता हैं .. ❣ और .. तु #दिखे हैं तो .. .. .. #नशा और #चढता हैं❣.. #OMGINDIAWORLD #शायरी

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तेरे #दीदार का #नशा भी .. .. .. 
#अजीब हैं .. ❣ 
तु ना #दिखे तो .. .. दिल #तडपता हैं .. ❣
 और .. तु #दिखे हैं तो
 .. .. .. #नशा और #चढता हैं❣..

©OMG INDIA WORLD तेरे #दीदार का #नशा भी .. .. .. 
#अजीब हैं .. ❣ 
तु ना #दिखे तो .. .. दिल #तडपता हैं .. ❣
 और .. तु #दिखे हैं तो
 .. .. .. #नशा और #चढता हैं❣..
#OMGINDIAWORLD

Kamal bhansali

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मेरी परछाई मुझे क्या तुझे आगे पीछे न दिखे
खिड़कियों से आती  रेशम सी किरणे
उनमें झांकती खुशी न दिखे
अंधेरो से क्यों डरते
एक दीप की एक लौ से तो वो न टिकते
परछाई है हम तेरी 
इतना ही बताते 
जंग जिंदगी की जीतनी हो तो 
हमें अंदर में समा लो
फिर चारो और नजर डाल लो
नजर जब न आये 
हमें भूल 
अपनी  मंजिल को चुन लो

smita@ishu

nojoto Hindiकिस्मत

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किस्मत की दीवारों पर हमें हर तरफ दरख़्त ही दिखे

निकले जिस भी गली गम भुलाने हर गली में मौका परस्त ही दिखे। #nojoto Hindi#किस्मत

Mahfuz nisar

मी पोस्ट

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उबड़-खाबड़ सड़क दिखी आज, 
उसमें अलग हुए कंकड़ो के खालीपन दिखे, 
जहाँ से अक्सर गुज़रते हुए क़दम लड़खड़ा जाते हैं,
ना जाने कितनी दफा मैं और हाँ आपभी गिरते- गिरते बचे हैं। 
सब कुछ ही तो नज़र है,पर नज़रंदाज़ करने की आदत हो गई है, 
कहते हैं, किसको कहें,कहाँ रोएँ-कहाँ गायें,किधर ख़ुद को ले जायें,
लगता है जैसे कोई अंधेरी सीढी चढ़ रहे हों,
जहाँ सामने कौन है,पता नहीं, 
अचानक से आकर कोई भी ठोकर मारता है, 
हर तकलीफ़ से झूझना पड़ता है,
कहना पड़ता है, ईटस ओके,
कैसे कब हो जाओगे विद्रोही,
समझे हो क्या ये अब तक, 
हर दिन की अपनी परेशानी है, 
क्या है इसके पीछे वजह कहाँ किसी को जानने की तलब आई है। 
बचपन,भूख से बिलख रही, 
जवानी,बेरोज़गारी से झुलस रही, 
बुढ़ापा,बेसहारा मर रही है,
लाश मिलती है,तो वारिस नहीं,
कहाँ मुकदमा चलेगा,हूँ ,बताओ? 
किसको खोजोगे,किससे माँग करोगे? 
कौन ठीक करेगा? 
वो जिसे तुमने ठिका दिया है सब कुछ का, 
चलो कम से कम ख़ुद पर खूब हँस लो अब, 
तुम आज भी अंधे हो,
युग चांद पर चमकना चाहता है,
लेकिन तुम अभी भी धरती में अपनी लकीर खींचने में लगे हो। 
खैर,तुमको दिखे ही कहाँ हैं, 
अलग हुए कंकड़ो के खालीपन।
वो तो मैंने देखा तो मेरा मसला था। 
                  ✍ mahfuz मी पोस्ट
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