"गुरुर है मुझे की मै बचपन में ही अनाथ हो गई,
सहारा दूसरो का लिया और मै जवान हो गयी,
खाने पीने का खर्च नाना ने उठाया
और मै एहसानो के तले दब गयी,
फिर भी मै गुरुर करती हूँ,
मै अपनी माँ के साथ बेफिक्र जिया करती हूँ,
कुछ (fd)s हैं जो बैंक मे पडे हैं,
मेरा तो उससे ही काम चल जायेगा,
जरा खो कर देखो अपने, अपनो को,
पैसो से जादा अपनो का मोल समझ आएगा,
नही पता था मुझे, मेरी अमीरी का चर्चा बाजारो मे हो जायेगा,
कितनी आसानी से पूछते हो, तुम्हे क्या दिक्कत है?
अरे जरा तड़प कर देखो अपनो के लिये,
तुम्हे तुम्हारा जवाब खुद मिल जायेगा,
मुसाफिर हूँ मुस्कुरा कर जीती हूँ,
सकारात्मकता की गठरी लाद कर चलती हूँ,
जरुरी नही की गम-ए आसू बाहाती रहूँ,
अतीत से जयादा मुस्तकबिल की परवाह करती हूँ,
दिखा सकते हो मुझे मेरे पिता का चेहरा ?
लौटा सकते हो मुझें मेरी बचपन की खुशियां ?
किसी के जज्बातो से, क्या खेलूंगी मै,
जब जिन्दगी ने मुझसे ही खिलवाड़ कर दिया,
गलत फहमि का शिकार है वो, जिसने मुझें गुनाहगार कह दिया ।
#$hivi"