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रातों में 'चाँदनी रात' काफ़ी हैं, हाथों में तुम्हार

रातों में 'चाँदनी रात' काफ़ी हैं,
हाथों में तुम्हारा हाथ काफ़ी हैं,
     सब हैं बेगाने तो कोई गम नहीं..
     तुम अपने हो ये बात काफ़ी हैं।
जिन्दा रहने के लिए ऐ सनम..
सिर्फ एक मुलाक़ात काफ़ी हैं।।

©Govind Pandram #मुलाक़ात
रातों में 'चाँदनी रात' काफ़ी हैं,
हाथों में तुम्हारा हाथ काफ़ी हैं,
     सब हैं बेगाने तो कोई गम नहीं..
     तुम अपने हो ये बात काफ़ी हैं।
जिन्दा रहने के लिए ऐ सनम..
सिर्फ एक मुलाक़ात काफ़ी हैं।।

©Govind Pandram #मुलाक़ात