#OpenPoetry इतने गमों को दिल में पाल रखा है गमीनात है कि हमनें खुद को संभाल रखा है तेरे घर में सवेरा मैं करूँ तो कैसे तेरी बस्ती से लोगों ने सूरज निकाल रखा है जरा गौर से देखो मेरी आँखों में इनमें आपके लिए एक सवाल रखा है वो नदी का किनारा वो गाँव से दूर पेड़ मैंने आज भी तेरी सब यादों का ख्याल रखा है जो दिया था तुमनें मुझें अपना नाम लिखकर अलमारी में मेरी वो तेरा रुमाल रखा है मजे में काट ली मैंने शायरी लिखकर रखने को तो जिंदगी ने काफी बेहाल रखा है #dost#गजल