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#OpenPoetry इतने गमों को दिल में पाल रखा है गमीनात

#OpenPoetry इतने गमों को दिल में पाल रखा है
गमीनात है कि हमनें खुद को संभाल रखा है

तेरे घर में सवेरा मैं करूँ तो कैसे
तेरी बस्ती से लोगों ने सूरज निकाल रखा है

जरा गौर से देखो मेरी आँखों में
इनमें आपके लिए एक सवाल रखा है

वो नदी का किनारा वो गाँव से दूर पेड़
मैंने आज भी तेरी सब यादों का ख्याल रखा है

जो दिया था तुमनें मुझें अपना नाम लिखकर
अलमारी में मेरी वो तेरा रुमाल रखा है

मजे में काट ली मैंने शायरी लिखकर
रखने को तो जिंदगी ने काफी बेहाल रखा है

 #dost#गजल
#OpenPoetry इतने गमों को दिल में पाल रखा है
गमीनात है कि हमनें खुद को संभाल रखा है

तेरे घर में सवेरा मैं करूँ तो कैसे
तेरी बस्ती से लोगों ने सूरज निकाल रखा है

जरा गौर से देखो मेरी आँखों में
इनमें आपके लिए एक सवाल रखा है

वो नदी का किनारा वो गाँव से दूर पेड़
मैंने आज भी तेरी सब यादों का ख्याल रखा है

जो दिया था तुमनें मुझें अपना नाम लिखकर
अलमारी में मेरी वो तेरा रुमाल रखा है

मजे में काट ली मैंने शायरी लिखकर
रखने को तो जिंदगी ने काफी बेहाल रखा है

 #dost#गजल
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