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कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।। वक़्त ने ली ऐसी क

कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।।

वक़्त ने ली ऐसी करवट, मैं हिन्दू तू मुसलमां हो गया।
जिस दिल मे रहते थे दोनों, वहां अब दो जहां हो गया।

बन मुर्गा रहे लड़ते, बांध पंजों में टुकड़ा एक ब्लेड का,
जो रहा लड़ाता हमे, आज वही देखो रहनुमां हो गया।

मिल बैठ पढ़ते थे आयतें श्लोक, गीता और कुरान की,
क्यूँ आज तुम्हे कुरान और हमे गीता का गुमां हो गया।

तुम भी तो आते थे मंदिर मेरे, था पढ़ा नमाज़ मैने भी,
तेरे माथे का तिलक, मेरी आँखों का सुरमा खो गया।

हमे याद हैं ईद की सेवईयां, तुम्हे भी होली के पकवान,
क्यूँ इस होली में ख़ाक, हम दोनों का अरमां हो गया।

मैं गंगा बन था बहता, तुम आ मिलते थे बनके यमुना,
बदलीं दिशाएं, बन बांध ये नफरत कब जवां हो गया।

बिन कहे जान जाते थे दर्द मेरा, गिरते थे आंसू तुम्हारे, 
आ मिल जा फिर से गले, मिले बहुत लम्हा हो गया।

©रजनीश "स्वछंद" कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।।

वक़्त ने ली ऐसी करवट, मैं हिन्दू तू मुसलमां हो गया।
जिस दिल मे रहते थे दोनों, वहां अब दो जहां हो गया।

बन मुर्गा रहे लड़ते, बांध पंजों में टुकड़ा एक ब्लेड का,
जो रहा लड़ाता हमे, आज वही देखो रहनुमां हो गया।
कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।।

वक़्त ने ली ऐसी करवट, मैं हिन्दू तू मुसलमां हो गया।
जिस दिल मे रहते थे दोनों, वहां अब दो जहां हो गया।

बन मुर्गा रहे लड़ते, बांध पंजों में टुकड़ा एक ब्लेड का,
जो रहा लड़ाता हमे, आज वही देखो रहनुमां हो गया।

मिल बैठ पढ़ते थे आयतें श्लोक, गीता और कुरान की,
क्यूँ आज तुम्हे कुरान और हमे गीता का गुमां हो गया।

तुम भी तो आते थे मंदिर मेरे, था पढ़ा नमाज़ मैने भी,
तेरे माथे का तिलक, मेरी आँखों का सुरमा खो गया।

हमे याद हैं ईद की सेवईयां, तुम्हे भी होली के पकवान,
क्यूँ इस होली में ख़ाक, हम दोनों का अरमां हो गया।

मैं गंगा बन था बहता, तुम आ मिलते थे बनके यमुना,
बदलीं दिशाएं, बन बांध ये नफरत कब जवां हो गया।

बिन कहे जान जाते थे दर्द मेरा, गिरते थे आंसू तुम्हारे, 
आ मिल जा फिर से गले, मिले बहुत लम्हा हो गया।

©रजनीश "स्वछंद" कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।।

वक़्त ने ली ऐसी करवट, मैं हिन्दू तू मुसलमां हो गया।
जिस दिल मे रहते थे दोनों, वहां अब दो जहां हो गया।

बन मुर्गा रहे लड़ते, बांध पंजों में टुकड़ा एक ब्लेड का,
जो रहा लड़ाता हमे, आज वही देखो रहनुमां हो गया।

कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।। वक़्त ने ली ऐसी करवट, मैं हिन्दू तू मुसलमां हो गया। जिस दिल मे रहते थे दोनों, वहां अब दो जहां हो गया। बन मुर्गा रहे लड़ते, बांध पंजों में टुकड़ा एक ब्लेड का, जो रहा लड़ाता हमे, आज वही देखो रहनुमां हो गया। #Poetry #Quotes #kavita #hindipoetry #falconfilms19