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अलमारी में पड़ी रहती है ये सारी साड़ीयाँ... जब भ

अलमारी में पड़ी रहती है 
ये सारी साड़ीयाँ... 
जब भी कुछ सामान ढूंढू तो उस वक्त नजर आती है ये सारी साड़ियां... 
मुझे मां की सारी साड़ियां जब भी खूबसूरत लगती थी
मैं हमेशा बोलती थी 
मां आपकी सारी बहुत खूबसूरत है...
मैं पगली मां की बात याद करती हूंँ...
एक दिन #माँ ने कहा था तुम पर ये सारे रंग बहुत अच्छे दिखेंगे..
जब भी दिल करे पहन लेना...
मुझे क्या मुझे तो बस एक मौका चाहिए था मां की हामी का... 😜😜🙈🙈
मां की बात को #कैसे_टाल सकती थी मैं... मासूम 😜
फटाक से साड़ी निकाली और पहनने लगी... 
एक हाथ से साड़ी को घुमा कर कमर में बांध दिया... 
फिर आंचल को कंधे पर डाल दिया....
तब मन और शरीर दोनों को अपनेपन का एहसास हुआ...
एक अजीब सी खुशी का..
साड़ी पहनकर मैंने पीछे मुड़ कर
आइने की ओर देखा.. 
तब मुझे साड़ी पर कुछ बिखरी हुई सिलवटें नजर आई...
मुझे पता था इन्हें सीधा करना चाहिए...
पर #उस_वक्त ये सिलवटें ना जाने क्यों खूबसूरती की 
पहचान छोड़ रही थी.... 
और मैं सादगी से  चेहरे को शर्म से छुपा रही थी....❤️🙈

©Namita Chauhan #Flower
अलमारी में पड़ी रहती है 
ये सारी साड़ीयाँ... 
जब भी कुछ सामान ढूंढू तो उस वक्त नजर आती है ये सारी साड़ियां... 
मुझे मां की सारी साड़ियां जब भी खूबसूरत लगती थी
मैं हमेशा बोलती थी 
मां आपकी सारी बहुत खूबसूरत है...
मैं पगली मां की बात याद करती हूंँ...
एक दिन #माँ ने कहा था तुम पर ये सारे रंग बहुत अच्छे दिखेंगे..
जब भी दिल करे पहन लेना...
मुझे क्या मुझे तो बस एक मौका चाहिए था मां की हामी का... 😜😜🙈🙈
मां की बात को #कैसे_टाल सकती थी मैं... मासूम 😜
फटाक से साड़ी निकाली और पहनने लगी... 
एक हाथ से साड़ी को घुमा कर कमर में बांध दिया... 
फिर आंचल को कंधे पर डाल दिया....
तब मन और शरीर दोनों को अपनेपन का एहसास हुआ...
एक अजीब सी खुशी का..
साड़ी पहनकर मैंने पीछे मुड़ कर
आइने की ओर देखा.. 
तब मुझे साड़ी पर कुछ बिखरी हुई सिलवटें नजर आई...
मुझे पता था इन्हें सीधा करना चाहिए...
पर #उस_वक्त ये सिलवटें ना जाने क्यों खूबसूरती की 
पहचान छोड़ रही थी.... 
और मैं सादगी से  चेहरे को शर्म से छुपा रही थी....❤️🙈

©Namita Chauhan #Flower