फ़ौजी और ख़त वतन के लिए मर मिटने वाला एक जाँबाज़ प्रहरी जिसको कहते सब फौजी पर उसके भी इक दिल होता है जो धड़कता है किसी के लिये भेजता है प्रेम पाती उसको जो देहरी खड़ी करती रहती है डाकिए का इंतज़ार और और माँ की ममता बहन का स्नेह भाई का दुलार पिता का प्यार दोस्तों की दोस्ती सबको मिलता है ख़तों के जरिये और देता है संदेश कभी न झुकने दूंगा देश का शीश इसकी ख़ातिर कर दूंगा अपनी जाँ भी कुर्बान वतन के लिए मर मिटने वाला एक जाँबाज़ प्रहरी जिसको कहते सब फौजी पर उसके भी इक दिल होता है जो धड़कता है किसी के लिये भेजता है प्रेम पाती उसको जो देहरी खड़ी