मुझे वीरान आंगन की, वो सब यादें सताती हैं तेरी चूड़ी, तेरी बिंदिया, मुझे सब याद आती हैं, सुबह की धूप,गली की सांझ, मैं अक्सर भूल जाता हूँ वतन की आग मेरे ज़हन में, जब घर बनाती है, दिखाऊँ शौर्य शेरों का, करूंगा वध मैं भेड़ों का छुए तिनका मेरी माँ का,मैं उसका वक्ष भेदूँगा, ये धरती, ये नदी-अम्बर, ये हवा-पानी, ये पत्थर मैं इनकी सौं खाता हूँ, ना हालात होंगे अब बत्तर, कि पिछले साल मेरे भाइयों ने, दम जो तोड़ा था जिन्हें धड़कन से बांधा था, उन्हें झंडों में छोड़ा था, मुझे हिम्मत दे मेरे मौला,ना फ़िरसे हो ये हंगामा, ना आगे, फ़िर कभी हो पाए, ऐसा कोई पुलवामा । ©Shivam Nahar #pulwamaattack #tribute #hindipoetry #hindikavita