"डोर से टूटी पतंग जैसी थी ये ज़िन्दगानी मेरी आज हूँ कल हो मेरा न हो हर दिन थी कहानी मेरी... एक बंधन नया पीछे से अब मुझको बुलाये आने वाले कल की क्यों फ़िकर मुझको सता जाये एक ऐसी चुभन इस लम्हे में है ये लम्हा कहाँ था मेरा...? "अभी मुझमे कहीं बाक़ी थोड़ी सी है ज़िन्दगी..…... #FavSong #nojoto #nojotohindi #kalakaksh #kavishala #humour