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दिख रही हो रूबरू पर फासले तो हैं उलझे पड़े हैं धागे

दिख रही हो रूबरू पर फासले तो हैं
उलझे पड़े हैं धागे मगर हमें जोड़ते तो हैं
लिपटकर रो नहीं सकते ये जानता हूँ मैं
कायदे जन रहे हैं फासिले मानता हूँ मैं

दिख रही हो नूर सी रुसवाइयों के छत तले
टपककर गिरती है वफ़ा रात में तकिये तले
चल रहे हैं रूह पर चाँदनी के नश्तर रात भर
arsh1145292537229

Arsh

Bronze Star
New Creator

दिख रही हो रूबरू पर फासले तो हैं उलझे पड़े हैं धागे मगर हमें जोड़ते तो हैं लिपटकर रो नहीं सकते ये जानता हूँ मैं कायदे जन रहे हैं फासिले मानता हूँ मैं दिख रही हो नूर सी रुसवाइयों के छत तले टपककर गिरती है वफ़ा रात में तकिये तले चल रहे हैं रूह पर चाँदनी के नश्तर रात भर #Pain #Love #SAD #poem #hurt #audio #Arsh

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