आजकल उदासी ख़ूब भा रही हैं, शायद हर मुश्किल रास आ रही हैं, पैदल चलने का मन करता हैं, तेरी उड़ान देख कर, बरसो बाद फिर वो अपना असली रंग दिखा रही हैं।