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आजकल उदासी ख़ूब भा रही हैं, शायद हर मुश्किल रास आ र

आजकल उदासी ख़ूब भा रही हैं,
शायद हर मुश्किल रास आ रही हैं,
पैदल चलने का मन करता हैं, तेरी उड़ान देख कर,
बरसो बाद  फिर वो अपना असली रंग दिखा रही हैं।
आजकल उदासी ख़ूब भा रही हैं,
शायद हर मुश्किल रास आ रही हैं,
पैदल चलने का मन करता हैं, तेरी उड़ान देख कर,
बरसो बाद  फिर वो अपना असली रंग दिखा रही हैं।