आज का ज्ञान जैसा इंक का रंग होगा, वैसा ही रंग कलम की नोक से निकलेगा! ठीक इसी तरह जैसा भी हमारे मन रूपी इंक का रंग रूपी भाव होगा, ठीक वैसा ही हमारे शरीर रूपी कलम से जाने-अनजाने बड़े ताव से निकलेगा! उदहारण के लिये- जैसा कि सभी महान लोग कहते हैं कि- "किसी भी बच्चे के मन में प्रेम और क्रोध का भाव होता है! जोकि उसे प्रकृति द्वारा वरदान के रूप में मिलता है! लेकिन परिवार, समाज, शिक्षा और धर्म की शाखाएँ मनुष्य का भला करने के चक्कर में जाने-अनजाने में इन दोनों भावों को बुरा समझ कर दबाने में अपना योगदान देती हैं! फिर जब उन दबे भावों का समाज में ज्वालामुखी बनकर विस्फोट होने लगता है, तो फिर यही शाखाएँ एक-दूसरे की परवरिश में आरोप लगाने लग जाती हैं! यानी कि हम लोग जाने-अनजाने में खुद ही समाज में फैली गुत्थियों (समस्याओं) का बीज बो रहे हैं, और फिर इन गुत्थियों से छुट्टी पाने के लिये किसी चमत्कार की झूठी आशा कर रहे हैं!" _बधाई हो छुट्टी की by रोहित थपलियाल जैसा इंक का रंग होगा, वैसा ही रंग कलम की नोक से निकलेगा! ठीक इसी तरह जैसा भी हमारे मन रूपी इंक का रंग रूपी भाव होगा, ठीक वैसा ही हमारे शरीर रूपी कलम से जाने-अनजाने बड़े ताव से निकलेगा! उदहारण के लिये- जैसा कि