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हमारे दरमियाँ कई फासले आये,  कई दफा महीनों तक मैं

हमारे दरमियाँ कई फासले आये, 

कई दफा महीनों तक मैंने नहीं लिखा। 

एक बैचेनी होती है बगैर लिखे, 

लगता है जीने का सिलसिला अधूरा हो चला। 

मेरी कवितायें कोई और नही है,

मेरा अपना ही अनदेखा प्रतिरूप है । 

अपने आप से नहीं मिलना, 

यह भी कायरता का ही स्वरूप है। 

कब तक भागूंगी अपने आप से, 

साँसों के बगैर भला कोई कैसे रह सकता है। 

कविता से राब्ता न रखना मुमकिन नहीं, 

अपने ही बजूद से भला कोई कैसे जुदा हो सकता है।  poem title -हमारे दरमियां फासले 
#poetry #aasthagangwar #hindipoem #hindisahityasrajan
हमारे दरमियाँ कई फासले आये, 

कई दफा महीनों तक मैंने नहीं लिखा। 

एक बैचेनी होती है बगैर लिखे, 

लगता है जीने का सिलसिला अधूरा हो चला। 

मेरी कवितायें कोई और नही है,

मेरा अपना ही अनदेखा प्रतिरूप है । 

अपने आप से नहीं मिलना, 

यह भी कायरता का ही स्वरूप है। 

कब तक भागूंगी अपने आप से, 

साँसों के बगैर भला कोई कैसे रह सकता है। 

कविता से राब्ता न रखना मुमकिन नहीं, 

अपने ही बजूद से भला कोई कैसे जुदा हो सकता है।  poem title -हमारे दरमियां फासले 
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