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यह हवा हर रोज मुझे क्यों छूती है जिसे मैं भूलना चा

यह हवा हर रोज मुझे क्यों छूती है जिसे मैं भूलना चाहती हूं कैसे कहूं मैं इन यादों की हवाओं से की मुझे अब अपनी यादों से ना छुए मैं चाह कर भी अब तुम्हारे दर पर नहीं आना चाहती क्योंकि मैं आकर फिर से जाना नहीं  चाहती और ना ही मैं सब कुछ भूलना चाहती हूं बस उसे याद नहीं करना चाहती Teri yaad
यह हवा हर रोज मुझे क्यों छूती है जिसे मैं भूलना चाहती हूं कैसे कहूं मैं इन यादों की हवाओं से की मुझे अब अपनी यादों से ना छुए मैं चाह कर भी अब तुम्हारे दर पर नहीं आना चाहती क्योंकि मैं आकर फिर से जाना नहीं  चाहती और ना ही मैं सब कुछ भूलना चाहती हूं बस उसे याद नहीं करना चाहती Teri yaad