क्या बताए कि आलम क्या हुया तुझे भुलाने का अब हर शख्स ही तुझसा लगता है,, अब भी बहकती हूं मैं किसी की बाहों में उसका मुझे सहलाना तुझसा लगता है, अब मेरी तारीफे नही करता कोई तेरी तरह उसका मुझे बिन पलक जपकाये देखना तुझसा लगता है,, सब ख्बाब अधूरे रह गए जो तुझ संग देखे थे अब हर टुटा सपना तुझसा लगता है,, ज़िक्र तेरा किताब-ए-ज़िन्दगी में मैने नही लिखा बस मुझे मेरी शायरी का हर हर्फ़ तुझसा लगता है,, #nojoto