यूँ ही तनहाईयों में भटकते थे जो तेरे आने से रोशन समां हो गए। दिल धडकने लगे, हम तडपने लगे आँखों ही आँखों में जब नशा भर दिया, काफिर-ए-इश्क को क्या से क्या कर दिया, तूने पत्थर से दिल को खुदा कर दिया । हम ठहर से गए, थोडे भर से गए, तूने हमको ही हमसे जुदा कर दिया ।। लबों पे थी हँसी, छायी थी खामोशी तेरी खुशबुएँ थी मुझमें भर सी गयी मेरे यारा के सूरत ए दीदार को चाँद अमावस से देखो दगा कर दिया काफिर-ए-इश्क को क्या से क्या कर दिया तूने पत्थर से दिल को खुदा कर दिया हम ठहर से गए,थोडे भर से गए तूने हमको ही हमसे जुदा कर दिया ।। % Naseeb Singh %