रेत बन गयी जिन्दगी अपने ही विचारों से l ख़ुद को डर लगने लगा अपने ही हथियारों से l वसूलो पर कभी रह नहीं पाये हैं अन्तर मन सारा सूख गया क्या सीकवा करे बहारों से। Bhardwaj Only Budana