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नाराज़गी तुझ से नहीं , बस नज़रों में एक पहरा सा है

नाराज़गी तुझ से नहीं , बस नज़रों में एक पहरा सा है

तू कह रही भूल जाऊं सब , ये ज़ख्म थोड़ा गहरा सा है

अब कोशिशें है की यादों में तुझे ना लाऊं मैं

पर जिस किसी को देखूं मैं , लगता तेरा चेहरा सा है

हो गई मुद्दत तुझे यूं छोड़कर जाए हुए

है बदनसीबी ही सही जो वक्त ये ठहरा सा है

चलो करते हैं एक सौदा यहां 

तू भूल मुझे मेरा मन भी तुझे भुला देगा

अब छोड़ कर देख मुझे , मेरा वादा है मेरी बेरुखी तुझे रूला देगी

बहुत हंसी थी उस रात तेरे होठों पर जबकि मेरी आंखों में अश्कों का बौछार था

कोई था नहीं गम बांटने को मेरे , बस रूमाल दो चार था ...

©Shahab #ग़म
नाराज़गी तुझ से नहीं , बस नज़रों में एक पहरा सा है

तू कह रही भूल जाऊं सब , ये ज़ख्म थोड़ा गहरा सा है

अब कोशिशें है की यादों में तुझे ना लाऊं मैं

पर जिस किसी को देखूं मैं , लगता तेरा चेहरा सा है

हो गई मुद्दत तुझे यूं छोड़कर जाए हुए

है बदनसीबी ही सही जो वक्त ये ठहरा सा है

चलो करते हैं एक सौदा यहां 

तू भूल मुझे मेरा मन भी तुझे भुला देगा

अब छोड़ कर देख मुझे , मेरा वादा है मेरी बेरुखी तुझे रूला देगी

बहुत हंसी थी उस रात तेरे होठों पर जबकि मेरी आंखों में अश्कों का बौछार था

कोई था नहीं गम बांटने को मेरे , बस रूमाल दो चार था ...

©Shahab #ग़म