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वो रात फिर लौट आयी है वो चीखें कुछ जानी-पहचानी सी

वो रात 
फिर लौट आयी है
वो चीखें कुछ जानी-पहचानी सी है
ख़ौफ़ में डूबी आंखें है
इंसाँ कहता था जो खुद को
शमशीर किसी आबरुह पर फिर उसने चलाई है
अँधेरा भी शर्मसार हो रहा है
उसके वजूद को भी छलनी कर दिया है
आसमाँ भी अश्क़ भा रहा है
'निर्भया' अपने जैसी दूजी बनते हुए देख रही है। #night
वो रात 
फिर लौट आयी है
वो चीखें कुछ जानी-पहचानी सी है
ख़ौफ़ में डूबी आंखें है
इंसाँ कहता था जो खुद को
शमशीर किसी आबरुह पर फिर उसने चलाई है
अँधेरा भी शर्मसार हो रहा है
उसके वजूद को भी छलनी कर दिया है
आसमाँ भी अश्क़ भा रहा है
'निर्भया' अपने जैसी दूजी बनते हुए देख रही है। #night