देश सेवा के नारे और नकाब ओढ़े सरताज बिकता है, प्रजातंत्र के पर्दे के पीछे संविधान बिकता है, लोग बिक जाते है चंद पैसो की खातिर, यहां वोटों के लिए आवाम बिकता है, जहां कोई नही बिकता वहां इंसान बिकता है, इस देश में गालिब ईमान बिकता है। #OurPolitics मख़फ़ी शायरा(meera) mahi mahi