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जिंदगी रह-गुजर तू मुसाफिर यहाँ, इस डूबती कश्ती को

जिंदगी रह-गुजर तू मुसाफिर यहाँ,
इस डूबती कश्ती को किनारा मिले,
तू जो बना ले अगर मुझे हम-नशी, 
तो शायद इस दिल को सहारा मिले।
Saurav Tiwari.....✍️ #sahara
जिंदगी रह-गुजर तू मुसाफिर यहाँ,
इस डूबती कश्ती को किनारा मिले,
तू जो बना ले अगर मुझे हम-नशी, 
तो शायद इस दिल को सहारा मिले।
Saurav Tiwari.....✍️ #sahara